NGO एनजीओ, गैर सरकारी संघठन, अलाभकारी संगठन, स्वैच्छिक संगठन, समाज सेवार्थ संगठन, सामाजिक संगठन, समाज सुधार संगठन अगर रजिस्टर्ड संस्था है तो उनका मुख्य उद्देश्य समाज सुधार का है। समाज सुधार के लिए ज़रूरी है कि सामुदायिक प्रयास हो। सामुदायिक स्तर पर गरीब पिछड़े तबके के लोगो को उनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी होती रहे और वो भी समाज के विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके यह बहुत ज़रूरी है।
सरकार चाहे जो भी हो सबकी प्राथमिकता ये ही रहती है कि गरीबों का उत्थान हो। गरीब वर्ग को देश के विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए कई सरकारी योजनाएं है जो गरीब पिछड़े वर्ग के लिए बनती है।
NGO गैर सरकारी संगठनों की महती ज़िम्मेदारी है कि वे सरकारी योजनाओं को जरुरतमंद लोगो तक पहुंचाएं और उनके जीवन में सुख लाएं।
हमारा देश गाँवों में बसता है। ग्रामीणों को अभी भी इस डिजिटल वर्ल्ड में भी कई दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। जिसमे सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि उनके पास सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं है। जिन गिने चुने लोगो के पास जानकारी होती है वे खुद लाभ ले कर बैठ जाते है दूसरों को नहीं बताते है।
जैसा कि मैंने पहले ही बताया था आपको कि आपको यहाँ पर सब तरह की जानकारी मिलेगी।
हमारी कंसल्टेन्सी सर्विस के ऑफिस में रोज़ाना कई फोन आते रहते है कि NGO एनजीओ इतना पुराना है और हमें कई से फण्ड नहीं मिला आज तक। वो कई कंसल्टेन्सी सर्विसेस के पास अच्छी खासी गाँठ की रकम फंडिंग दिलवाने के भरोसे में आ कर लुटा चुके होते है। जब हम इस तरह की NGO के संचालकों को बताते है कि NGO के सामाजिक कार्य के लिए आपको कोई फण्ड नहीं दिला सकता। आपकी NGO की प्रोफाइल ही आपको फण्ड दिलवा सकती है लेकिन वो कुछ समझ नहीं पाते है।
NGO funding के लिए कोई एजेंट मदद नहीं कर सकता। आपकी NGO का कार्य ही आपको फंडिंग दिलवा सकता है।
अब एक और दिक्क्त आती है NGO संचालकों को समझाने में वो ये है कि उन्होंने NGO रजिस्टर्ड तो करवा ली। सीए और दूसरी कंसल्टेन्सी की मदद से पेपर्स भी तैयार करवा लिए लेकिन बात फंडिंग पर ही आ कर अटक जाती है।
तो महानुभावों !!!!!!!
एक बात आप अच्छे से समझ लीजिये कि बिना काम करें ये कागजी खानापूर्ति आपके किसी काम की नहीं है। वर्किंग और एक्टिव NGO होनी चाहिए। कागजी खानापूर्ति से आप एक दो बार पचास हज़ार तक के प्रोजेक्ट जैसे तैसे पा लेंगे लेकिन NGO के लिए लगातार फंडिंग होती रहे उसके लिए काम किया हुआ होना बहुत ज़रूरी है।
अब बात फिर घूम फिर कर आती है कि काम क्या क्या करें जिससे NGO को फण्ड मिलता रहे और NGO की नेकनामी की पब्लिसिटी भी पूरी हो।
तो उसके लिए एक ही बहुत ज़रूरी काम करना है NGO को वो है “स्वयं सहायता समूह” SHG बना कर उन पर कार्य करना।
स्वयं सहायता समूह NGO के लिए संजीवनी बूटी है। कहते हैं न की “सौ तालों की एक चाबी” बिलकुल ठीक उस तरह स्वयं सहायता समूह जिसे इंग्लिश में Self Help Group कहते है, वो है।
SHG सेल्फ हेल्प ग्रुप / स्वयं सहायता समूह का मुख्य काम Capacity Building for Poverty Reduction है।
NGO स्वयं सहायता समूह SHG बना कर इनके माध्यम से करीब करीब सभी सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के ज़रूरतमंद लोगो तक पहुंचा सकती है।
स्वयं सहायता समूह से गरीब पिछड़े वर्ग की महिलाओं को और हमारे किसान भाइयों को और ग्रामीण जनता की सब तरह की ज़रूरत पूरी हो सकती है।
“सेल्फ हेल्प ग्रुप” से जुडी NGOs को ही अभी वर्तमान में केंद्र सरकार के ज्यादातर मंत्रालय फंडिंग दे रहे है।
“सेल्फ हेल्प ग्रुप” का निर्माण Formation ही “सबका साथ, सबका विकास” के कांसेप्ट पर है। संगठन में शक्ति है। सब मिल कर एक दूसरे की मदद करें तो समस्याएं जल्द दूर हो सकती है।
कपार्ट CAPART जिसका पूरा नाम है Council for Advancement of People’s Action and Rural Technology, नाबार्ड NABARD जिसका पूरा नाम National Bank For Agriculture And Rural Development है और DRDA जिसका पूरा नाम Department of Rural Development Authority है स्वयं सहायता समूहों को ही फंडिंग करते है। “नाबार्ड” तो SHG सेल्फ हेल्प ग्रुप जिन्हें स्वयं सहायता समूह भी कहते है को आजीवीकोपार्जन के लिए रोजगार शुरू करने के लिए आसान लोन ऋण भी उपलब्ध करवाती है।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय और कृषि मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय सहित कई मंत्रालय वर्तमान में सेल्फ हेल्प ग्रुप / स्वयं सहायता समूह को ही फंडिंग देने को वरीयता देते है।
स्वयं सहायता समूह NGO / गैर सरकारी संगठनों/ स्वेच्छिक संगठनों के लिए सभी तरह के वरदान देने वाली कामधेनु गाय है।
आपको इधर स्वयं सहायता समूह पर सभी तरह की जानकारी विस्तार से दी जाएगी। NGO / गैर सरकारी संगठन/ स्वेच्छिक संगठन किस तरह से स्वयं सहायता समूहों पर कार्य करें जिससे उन्हें फ़र्ज़ी कंसल्टेंसी सर्विसेज़ के हाथों फंडिंग के पार्ट पर लूटना न पड़े वो सभी तरह की जानकारी आपको इधर अलग अलग आर्टिकल में मिलेगी।
SHG – सेल्फ हेल्प ग्रुप/ स्वयं सहायता समूह को किस तरह से बनाया जाता है ?
किस तरह सफलता के साथ ग्रुप के सदस्यों को उनकी आर्थिक स्थिति उन्नत करने में NGO अपना योगदान दे ?
SHG सेल्फ हेल्प ग्रुप/ स्वयं सहायता समूह के अकाउंट किस तरह मेंटेन किये जाए ?
SHG सेल्प हेल्प ग्रुप / स्वयं सहायता समूह के बैंक में खाते किस तरह खुलवाए जाएँ ?
SHG के सदस्यों की पासबुक किस तरह की हो ?
SHG के लीडरशिप और मीटिंग को अरेंज करने के बारे में भी आपको विस्तार से बताया जायेगा।
